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अभ्यास 4 (Mangal) ()
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सभापति महोदय, सरकार ने कई कृषि फार्म खोले हैं। क्या ये फार्म घाटे में नहीं चल रहे हैं? अगर सारे खर्च जोड़ दिए जाएँ, बड़े-बड़े अधिकारियों के वेतन जोड़ दिए जाएँ तो पता चलेगा कि सारे ये कृषि फार्म घाटे में चल रहे हैं। क्या इसी तरह से आप सारे किसानों को घाटे पर खेती करने के लिए मजबूर करेंगे? जिस क्षेत्र से मैं आता हूँ वहाँ एक पुल बना है। मैंने दस वर्ष तक अपनी विधान सभा में इस पुल के लिए कोशिश की है। जिस दिन से मैं यहाँ आया हूँ बराबर उसकी चर्चा करता आ रहा हूँ बराबर कोशिश कर रहा हूँ। मैं कहता हूँ कि गंगा पर वह पुल बने , उस पुल को बनाने का आश्वासन भी मिला था। एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जवाब दिया गया था। यह कहा गया था कि इसको हाथ में लिया जाएगा। अब मालूम हुआ है कि उस योजना को उठाकर ताक पर रख दिया गया है और यह पुल नहीं बनेगा। इन लोगों ले क्या कसूर किया है? यह मैं आपसे जानना चाहता हूँ। हमारे क्षेत्र के लोगों ने पाकिस्तान की लड़ाई में सरकार को हर तरह का सहयोग दिया था, हर तरह की सहायता दी थी। हमारे यहाँ के नौजवान भी मोर्चे पर जाकर डटे। जिस समय पाकिस्तान के साथ हमारा युद्ध चल रहा था तो कहीं कोई बात नहीं थी। अन्न की कमी कहीं नहीं थी। अन्न की कमी भी हमारे विरोधी साथी पैदा करते हैं जो यह चाहते हैं कि सरकार असफल हो जाए। ये लोग जो कहते हैं उसको आप समझें । एक तरफ तो हमारे मित्र की बात है जो देश के बड़े-बड़े शहरों में दंगे करवाते हैं, दूसरी तरफ हम हैं जो कि इनकी बातों को नहीं समझ पाते। इनको सभी वे लोग मिल जाते हैं जो बेकार होते हैं या जो दंगे करवाने के लिए उत्सुक हैं। इसलिए सरकार का इन सारी चीजों की तरफ ध्यान जाना चाहिए और सोचना चाहिए कि क्या तरीका इन सबसे बचने का हो सकता है। एक ही तरीका हो सकता है कि इस देश में हर आदमी को काम मिले। देहात में लोगों को करने के लिए काम मिले और खादी कमीशन की जो योजना है और जो कि एक अच्छी योजना है वह ठीक तरह से चले। सौभाग्य से मैं आर्यसमाज संगठन से संबंध रखता हूँ।
सभापति महोदय, सरकार ने कई कृषि फार्म खोले हैं। क्या ये फार्म घाटे में नहीं चल रहे हैं? अगर सारे खर्च जोड़ दिए जाएँ, बड़े-बड़े अधिकारियों के वेतन जोड़ दिए जाएँ तो पता चलेगा कि सारे ये कृषि फार्म घाटे में चल रहे हैं। क्या इसी तरह से आप सारे किसानों को घाटे पर खेती करने के लिए मजबूर करेंगे? जिस क्षेत्र से मैं आता हूँ वहाँ एक पुल बना है। मैंने दस वर्ष तक अपनी विधान सभा में इस पुल के लिए कोशिश की है। जिस दिन से मैं यहाँ आया हूँ बराबर उसकी चर्चा करता आ रहा हूँ बराबर कोशिश कर रहा हूँ। मैं कहता हूँ कि गंगा पर वह पुल बने , उस पुल को बनाने का आश्वासन भी मिला था। एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जवाब दिया गया था। यह कहा गया था कि इसको हाथ में लिया जाएगा। अब मालूम हुआ है कि उस योजना को उठाकर ताक पर रख दिया गया है और यह पुल नहीं बनेगा। इन लोगों ले क्या कसूर किया है? यह मैं आपसे जानना चाहता हूँ। हमारे क्षेत्र के लोगों ने पाकिस्तान की लड़ाई में सरकार को हर तरह का सहयोग दिया था, हर तरह की सहायता दी थी। हमारे यहाँ के नौजवान भी मोर्चे पर जाकर डटे। जिस समय पाकिस्तान के साथ हमारा युद्ध चल रहा था तो कहीं कोई बात नहीं थी। अन्न की कमी कहीं नहीं थी। अन्न की कमी भी हमारे विरोधी साथी पैदा करते हैं जो यह चाहते हैं कि सरकार असफल हो जाए। ये लोग जो कहते हैं उसको आप समझें । एक तरफ तो हमारे मित्र की बात है जो देश के बड़े-बड़े शहरों में दंगे करवाते हैं, दूसरी तरफ हम हैं जो कि इनकी बातों को नहीं समझ पाते। इनको सभी वे लोग मिल जाते हैं जो बेकार होते हैं या जो दंगे करवाने के लिए उत्सुक हैं। इसलिए सरकार का इन सारी चीजों की तरफ ध्यान जाना चाहिए और सोचना चाहिए कि क्या तरीका इन सबसे बचने का हो सकता है। एक ही तरीका हो सकता है कि इस देश में हर आदमी को काम मिले। देहात में लोगों को करने के लिए काम मिले और खादी कमीशन की जो योजना है और जो कि एक अच्छी योजना है वह ठीक तरह से चले। सौभाग्य से मैं आर्यसमाज संगठन से संबंध रखता हूँ।
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