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अभ्यास 3 (Mangal) ()
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सभापति महोदय, किसानों की उपज की आप न अधिक कीमत दे सकते हैं न अधिक उपजाने के लिए जो साधन देश में उपलब्ध हैं उनकी तरफ आपका ध्यान जा रहा है। जो कुछ आप कर रहे हैं उससे कोई अच्छा भविष्य नजर नहीं आ रहा है। मैं यही कहना चाहता हूँ कि आप देखें कि आपके कार्यक्रम में कहाँ त्रुटि है, कहाँ कमी है। आपने कर लगा रखे हैं। आपने जो कर लगाए हैं वे तो लगाए ही हैं, हमारे प्रदेश में तो जमीन पर २५ प्रतिशत ज्यादा कर भी लगा दिया गया है। इतनी बोझ अगर किसान पर होगा तो उसकी कमर टूट जाएगी। वह पहले से टूटी जा रही है लेकिन वे इन करों को देने के लिए भी तैयार हैं , यदि आप उस तरह के साधन उन किसानों के लिए तैयार करें। हमारे उत्तर प्रदेश के कुछ जिले हैं, पूर्वी जिले हैं जहाँ पर बहुत बुरी स्थिति है। हमारे सदन के एक सदस्य ने रो-रो कर आपको यह बताया था कि वहाँ लोगों को दो रुपए मजदूरी में मिलता है। इतनी ही एक दिन की उनकी मजदूरी है। सरकार ने एक आयोग एक नियुक्ति की थी ताकि वहाँ पर कुछ विकास के कार्य किए जाएँ, वह योजना भी अब खटाई में पड़ गई है। आपका ध्यान इन समस्त चीजों की ओर कैसे दिलाया जाए? कैसे आपका ध्यान इन सभी कठिनाइयों की ओर आकर्षित किया जाए? समझ में नहीं आता है। यातायात के साधनों की स्थिति यह है कि ट्रेनों में दूसरे दर्जे में भीड़-भाड़ का कोई ठिकाना नहीं है, उसकी कोई सीमा नहीं है। हर रोज ऐसा मालूम पड़ता है कि कोई मेला चल रहा है। आपके पास अच्छे इंजन हैं, अच्छे गति वाले इंजन हैं, लाइन भी अच्छी हैं। तो क्यों नहीं दूसरे दर्जे के अधिक डिब्बे लगाए जाते हैं? लोगों को कुछ सुविधा मिल जाए वह काम नहीं किया जा रहा है। आपको किसान की, देहात में रहने वाले आदमी की, मजदूर की परवाह नहीं है जो समस्त कठिनाइयों को झेलता है। आपके सारे कार्यक्रम को पूरा करने की उसमें कहाँ से शक्ति आएगी? कैसे वे अधिक अन्न उपजाकर आपको दे सकेंगे? आप इन सब पर सोच-विचार करें।आपने बड़े-बड़े फार्म बना दिए हैं। क्या उन्हें आपके फार्म से कोई लाभ मिल रहा है।
सभापति महोदय, किसानों की उपज की आप न अधिक कीमत दे सकते हैं न अधिक उपजाने के लिए जो साधन देश में उपलब्ध हैं उनकी तरफ आपका ध्यान जा रहा है। जो कुछ आप कर रहे हैं उससे कोई अच्छा भविष्य नजर नहीं आ रहा है। मैं यही कहना चाहता हूँ कि आप देखें कि आपके कार्यक्रम में कहाँ त्रुटि है, कहाँ कमी है। आपने कर लगा रखे हैं। आपने जो कर लगाए हैं वे तो लगाए ही हैं, हमारे प्रदेश में तो जमीन पर २५ प्रतिशत ज्यादा कर भी लगा दिया गया है। इतनी बोझ अगर किसान पर होगा तो उसकी कमर टूट जाएगी। वह पहले से टूटी जा रही है लेकिन वे इन करों को देने के लिए भी तैयार हैं , यदि आप उस तरह के साधन उन किसानों के लिए तैयार करें। हमारे उत्तर प्रदेश के कुछ जिले हैं, पूर्वी जिले हैं जहाँ पर बहुत बुरी स्थिति है। हमारे सदन के एक सदस्य ने रो-रो कर आपको यह बताया था कि वहाँ लोगों को दो रुपए मजदूरी में मिलता है। इतनी ही एक दिन की उनकी मजदूरी है। सरकार ने एक आयोग एक नियुक्ति की थी ताकि वहाँ पर कुछ विकास के कार्य किए जाएँ, वह योजना भी अब खटाई में पड़ गई है। आपका ध्यान इन समस्त चीजों की ओर कैसे दिलाया जाए? कैसे आपका ध्यान इन सभी कठिनाइयों की ओर आकर्षित किया जाए? समझ में नहीं आता है। यातायात के साधनों की स्थिति यह है कि ट्रेनों में दूसरे दर्जे में भीड़-भाड़ का कोई ठिकाना नहीं है, उसकी कोई सीमा नहीं है। हर रोज ऐसा मालूम पड़ता है कि कोई मेला चल रहा है। आपके पास अच्छे इंजन हैं, अच्छे गति वाले इंजन हैं, लाइन भी अच्छी हैं। तो क्यों नहीं दूसरे दर्जे के अधिक डिब्बे लगाए जाते हैं? लोगों को कुछ सुविधा मिल जाए वह काम नहीं किया जा रहा है। आपको किसान की, देहात में रहने वाले आदमी की, मजदूर की परवाह नहीं है जो समस्त कठिनाइयों को झेलता है। आपके सारे कार्यक्रम को पूरा करने की उसमें कहाँ से शक्ति आएगी? कैसे वे अधिक अन्न उपजाकर आपको दे सकेंगे? आप इन सब पर सोच-विचार करें।आपने बड़े-बड़े फार्म बना दिए हैं। क्या उन्हें आपके फार्म से कोई लाभ मिल रहा है।
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